सामाजिक समूह (Social Group)
समाज मनोविज्ञान, व्यक्ति का अध्ययन सामाजिक समूह के सन्दर्भ में करता है। व्यक्ति हमेशा समूह के रूप में रहा है। सृष्टि के निर्माण से जो भी इतिहास पढ़ने व सुनने को मिलता है। उससे जानकारी होती है कि व्यक्ति हमेशा एक समूह के रूप में रहा है। कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रहता है। व्यक्ति जिस समूह में रहता है उसी समूह के अनुरूप अपना व्यवहार बनाता है। जब व्यक्ति अपने परिवार में होता है तो उसका व्यवहार परिवार के अनुकूल रहता है तथा जब वह परिवार से बाहर समाज में आता है तो उसका व्यवहार समाज के अनुकूल होता है। समाज में व्यक्ति अपने आप को समाज की आवश्यकता के अनुरूप बना लेता है। इसलिए यहाँ हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक व्यवहार के अध्ययन के लिए सामाजिक समूह का अध्ययन अति आवश्यक है।